नई दिल्ली. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) को लेकर हमने दुनियाभर के देशों में संपर्क किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने इन देशों को बताया कि सीएए और एनआरसी के पीछे हमारा मकसद क्या है और ज्यादातर देशों से मिली प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि वे इन मसलों को भारत का अंदरूनी मामला मानते हैं।
'हमने दूसरे देशों की सरकारों से अपना नजरिया साझा करने को कहा'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा- हमने दोहरी रणनीति अपनाई। भारत में मौजूद राजदूतों और हाईकमिश्नरों से संपर्क के अलावा हमने विदेशों में भारतीय राजनयिकों के जरिए इस मुद्दे पर वहां की सरकारों से बात की। हमने अपने उच्चायोगों से कहा कि वे एनआरसी और सीएए के बारे में वहां की सरकारों को बताएं। हम इन सरकारों को यह स्पष्ट करना चाहते थे कि ये हमारे अंदरूनी मामले हैं। हमने वहां की सरकारों से अपना नजरिया साझा करने पर भी जोर दिया।
'कानून के जरिए संवैधानिक ढांचे को नहीं बदला गया'
रवीश कुमार ने बताया, "हमने अपने राजनयिकों से कहा कि वे जहां हैं, वहां की सरकारों को बताएं कि नागरिकता संशोधन कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में आए अल्पसंख्यकों की नागरिकता के लिए है। यह कानून अन्य समुदायों के नागरिकता हासिल करने के लिए मौजूदा रास्तों को भी किसी तरह प्रभावित नहीं करता। इसका मकसद किसी की नागरिकता छीनना नहीं है। इस कानून के जरिए हम किसी भी तरह से भारतीय संविधान के मूलभूत ढांचे को बदल नहीं रहे हैं, जैसा कि कुछ विदेशी मीडिया दर्शा रहे हैं। हमने अपने राजनयिकों से कहा है कि वे अपनी संबंधित सरकारों से ही नहीं, बल्कि वहां के मीडिया से भी इस बारे में बात करें।''
'बांग्लादेश सरकार के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट की'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा- हमने यह भी बताने के निर्देश दिए थे कि एनआरसी और सीएए पूरी तरह भिन्न प्रक्रियाएं हैं। इनका आपस में कोई संबंध नहीं है। हमने बताया कि एनआरसी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू की गई प्रक्रिया है और यह हमारा अंदरूनी मामला है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और उसकी निगरानी में ही पूरी की गई है। कुछ देशों को छोड़कर ज्यादातर का यही मानना है कि यह हमारे आंतरिक मसले हैं।
सीएए पर बांग्लादेश की विरोधी प्रतिक्रिया पर रवीश कुमार ने कहा- हमने अपनी स्थिति बांग्लादेश सरकार के सामने स्पष्ट कर दी है। यह भी कहा जा रहा है कि कुछ देश सीएए को लेकर खुश नहीं हैं, लेकिन यह रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से गलत हैं।
शिंजो आबे के भारत दौरे का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था
कानून लागू होने के बाद दिसंबर में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोेदी और जापान के पीएम शिंजो आबे की द्विपक्षीय मुलाकात का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था। इसके अलावा बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन और गृह मंत्री असदुज्जमान खान ने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया था। बांग्लादेश सरकार ने भारत-बांग्लादेश सीमा से सटे एक किलोमीटर के इलाके में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी हैं।